बिहार में जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी, ओबीसी, एससी और एसटी की आबादी 84.48%

बिहार में जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी, ओबीसी, एससी और एसटी की आबादी 84.48%

बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इन आंकड़ों के अनुसार, बिहार में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी कुल 84.48% है, जबकि सामान्य वर्ग की आबादी 15.52% है।

इन आंकड़ों के जारी होने के बाद बिहार में राजनीतिक गलियारों में हलचल है। विपक्षी पार्टियों ने इन आंकड़ों को जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा देने वाला बताया है। वहीं, सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इन आंकड़ों को बिहार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने के लिए महत्वपूर्ण बताया है।

राजनीतिक निहितार्थ

बिहार जाति जनगणना के आंकड़े बिहार की राजनीति में कई तरह से महत्वपूर्ण हो सकते हैं। सबसे पहले, ये आंकड़े बिहार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने में मदद कर सकते हैं। इन आंकड़ों के आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि विभिन्न जातियों और समुदायों की आर्थिक स्थिति क्या है।

दूसरे, ये आंकड़े बिहार में जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा दे सकते हैं। इन आंकड़ों का उपयोग राजनीतिक दलों द्वारा अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

तीसरे, ये आंकड़े बिहार में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। इन आंकड़ों का उपयोग सरकार द्वारा विभिन्न जातियों और समुदायों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को बनाने में किया जा सकता है।

सरकार का दावा

बिहार सरकार ने दावा किया है कि जाति आधारित जनगणना के आंकड़े बिहार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने में महत्वपूर्ण हैं। सरकार का कहना है कि इन आंकड़ों का उपयोग सरकार द्वारा विभिन्न जातियों और समुदायों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को बनाने में किया जाएगा।

विपक्ष का आरोप

विपक्षी पार्टियों ने बिहार जाति जनगणना के आंकड़े को जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा देने वाला बताया है। विपक्ष का कहना है कि इन आंकड़ों का उपयोग सरकार द्वारा अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए किया जाएगा।

बिहार जाति जनगणना के आंकड़े बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इन आंकड़ों का उपयोग विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अपनी रणनीति बनाने के लिए किया जाएगा।