बिहार में जाति आधारित गणना के बाद सियासी समीकरण में बदलाव, नीतीश कुमार और जदयू की नई चाल

बिहार में जाति आधारित गणना के बाद सियासी समीकरण में बदलाव, नीतीश कुमार और जदयू की नई चाल

बिहार में हाल ही में हुई जाति आधारित गणना के बाद, राज्य की सियासी दायरे में तेज बदलाव दिख रहा है। इस गणना के बाद, नीतीश कुमार ने सवर्ण समुदाय की पोल खोली है और अब उनकी नई चाल भाजपा के खिलाफ खुद को साबित करने में जुटी है। उपेंद्र कुशवाहा के इस्तीफे के बाद, नीतीश कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के पुत्र राजवर्धन आजाद को विधान परिषद की सीट पर भेजने का निर्णय लिया है।

नीतीश की सवर्ण समुदाय के प्रति चाल:

नीतीश कुमार की यह नई चाल भाजपा के सवर्ण वोटबैंक को छूने की कोशिश करने की नजरिया रखती है। उन्होंने राजवर्धन आजाद को विधान परिषद की सीट पर भेजकर उनको सांसद बनाने की योजना बनाई है। इसके माध्यम से, वह सवर्ण समुदाय को साधने की कोशिश कर रहे हैं और उसे अपनी पार्टी में जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

जदयू की नई चुनौती:

इस बीच, जदयू की भी नई चुनौती है। उन्हें सवर्ण समुदाय को अपनी ओर खींचने के लिए नवीनतम चर्चा में जाने का सामना करना पड़ रहा है। यह नई चाल सियासी मैदान में रोमांच और उत्साह भर देगी, क्योंकि अब सवर्ण वोटबैंक की प्रतिष्ठा की खातिर यहाँ दर्शाने के लिए सभी प्रमुख दल जुटे हैं।

आनंद मोहन की गतिविधियाँ:

इस बीच, पूर्व सांसद आनंद मोहन की जदयू में शामिल होने की चर्चा भी हो रही है। उनकी गतिविधियाँ और उनका स्थानीय प्रभाव जदयू को सवर्ण समुदाय की ओर आकर्षित करने में मदद कर सकती हैं। उनकी शक्ति सवर्ण वर्ग में है और यह उसे जीतने में मदद कर सकती है।