जोधपुर के आर्किटेक्चर के स्टूडेंट का पर्यावरण के नाम अनोखा नवाचार: अब गोबर से बनी ईंट दिलाएगी रेडिएशन से छुटकारा

जोधपुर के आर्किटेक्चर के स्टूडेंट का पर्यावरण के नाम अनोखा नवाचार:  अब गोबर से बनी ईंट दिलाएगी रेडिएशन से छुटकारा

राजस्थान के जोधपुर में स्थित MBM यूनिवर्सिटी के आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट ने की सभी प्रकार के रेडिएशन से छुटकारा पाने की रिसर्च।

 

इस नवाचार के बारे में

◆ आज की इस अत्याधुनिक युग में पर्यावरण को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए जोधपुर के एमबीएम यूनिवर्सिटी (मगनीराम बांगड़ मैमोरियल अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय) ने हाल ही में नया नवाचार किया है। 

◆ यह इनोवेशन न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद रहेगा, बल्कि इससे हानिकारक रेडिएशन से भी बचा जा सकेगा।

◆ गौरतलब है कि एमबीएम यूनिवर्सिटी के आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट ने एक ऐसी ईंट तैयार की है जो गर्मी में भी बिन ऐसी के कमरे में ठंडक का अहसास कराएगी। केवल इतना ही नहीं ये ईंट रेडिएशन के हानिकारक प्रभाव को भी कम करेगी।

◆ इस ईंट को गोबर और लाइम से बनाया गया है। 

◆ ईद की खास बात यह भी है कि यह हर आम आदमी के पहुंच में आ सकेगी क्योंकि यहआम ईंट के मुकाबले सस्ती भी रहेगी। 

◆ इस ईंट को वेस्ट प्रोडक्ट से बनाया गया है। अमूमन सभी लोग गोबर को एक अपशिष्ट के रूप में समझते हैं लेकिन यही अपशिष्ट अब विशिष्ट हो गया है जोकि विभिन्न रूपों में जैसे वह काम आता है उससे भी ज्यादा काम आएगा। 

◆ ऐसा अनुमान भी लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में ग्रीन सिटी के तहत इसका प्रचलन बढ़ने वाला है।

 साथ ही ,कम जगह में अधिक उत्पादन करने वाली भी है

◆ घरों को बनाने के लिए जिस सीट का प्रचलन है वह तकरीबन पांच और ₹6 में बाजार में मिल जाती है, और जिस प्रक्रिया से होकर गुजरती है उस दौरान ईद का पकना और पकने से जो दुआ चिमनी से निकलता है उससे भी प्राइवेट को हानि होती है अब इस ईद के आ जाने के बाद यह भी कम हो जाएगा।

◆ यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट का कहना है कि इसे बड़ी क्वांटिटी में बनाई जाएगी तो आने वाले समय में आम ईंट के मुकाबले इसकी कीमत कम रहेगी।

◆  इस ईंट के लिए गाय या बैल का गोबर कारगर होता है।

◆ यह ईंट  दिल्ली की टेरी लैब से प्रमाणित है।

◆ इसे दो साल के गहन अध्ययन व परीक्षण स्टडी के बाद तैयार किया गया। 

◆ आर्किटेक्चर विभाग की अध्यक्ष प्रियंका मेहता ने बताया एमबीएम में एक रिसर्च के तहत इसे बनाया गया है। यूनिवर्सिटी ने साल 2020 में इस पर रिसर्च करना शुरू किया। इसके बाद इसे बनाने के मैटर पर रिसर्च किया गया।

◆ गोबर और ईंट के प्रयोग से इसे बनाया गया। बाद में रेडिएशन मापने और टैम्परेचर कंट्रोल कम करने के लिए इस पर रिसर्च किए गए।

◆ इसमें टैम्परेचर सेंसर लगाए गए। जिससे ईंट में टैम्परेचर का नाप लिया गया। इसके बाद प्राप्त हुए रिकाॅर्ड से ये पता लगा कि इससे बिल्डिंग में हो रही हीट को काफी हद तक कम किया जा सकता है। दिल्ली की टेरी लैब से इसे प्रमाणित भी किया गया है।

◆ इसको तीन दिवसीय एक्सपो में हो रहा प्रदर्शन में प्रदर्शित किया जा रहा है और यह कार्यक्रम जोधपुर के होटल श्रीराम इंटरनेशनल में शुरू हुए आर्किटेक्चर एक्सपो में भी प्रदर्शन किया गया है। इसमें स्टूडेंट उन्हें इस ईंट के बनाने के प्रोसेस और इससे होने वाले फायदों के बारे में शहरवासियों को बता रहे हैं।

 

उपयोगिता

◆ इस गोबर से बनी ईट से कई सारी बीमारियों का इलाज हो जाएगा।

◆ लगातार रेडिएशन के संपर्क में रहने से विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे कैंसर का भी खतरा, प्रजनन क्षमता में कमी, कैंसर, ब्रेन ट्यूमर और मिस कैरेज आदि घेर लेती है लेकिन गाय के गोबर से बनी ईंट से रेडिएशन जैसी समस्याएं नहीं होगी।

 

ईंट बनाने की प्रक्रिया

◆ इस ईंट को सूर्य की किरणों से होगी तैयार  किया जाएगा।

◆ इसको बनाने की प्रक्रिया भी बड़ी विशिष्ट हैं जिस प्रकार से ईट को ईट भट्टे के अंदर पकाया जाता है इसको भी सूर्य की किरणों से भगाया जाएगा जिसमें से किसी भी प्रकार का कोई हानिकारक तत्व नहीं उत्पन्न होगा।

 

फायदें

◆ यह ईंट बनने से पर्यावरण के लिए बहुत ज्यादा फायदेंमद रहेगा। क्योंकि इसे बनाने में किसी तरह का धुआं नहीं निकलता। 

◆ इसे सूर्य की किरणों में पकाई जाता है। इसमें किसी भी तरह का कोई कोयला नहीं जलाया जाता है जिससे धूंआ भी नहीं होता।

 

ईंट की खासियत

◆ फायर रेजिस्टेंट

◆ वजन में हल्की

◆ धूंए और प्रदूषण रहित

◆ हानिकारक रेडिएशन से बचाव

◆ प्रति दस किलो मैटेरियल में 8 किलो गोबर और दो किलो लाइम यूज किया गया है।