परमाणु परीक्षण के हुए 25 वर्ष पूर्ण : आज ही के दिन वर्ष 1998 में राजस्थान के पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया गया।

परमाणु परीक्षण के हुए 25 वर्ष पूर्ण  : आज ही के  दिन वर्ष 1998 में राजस्थान के पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया गया।

11 मई, 1998 को पोकरण क्षेत्र में खेतोलाई गांव के पास स्थित फायरिंग रेंज में भारत ने "ऑपरेशन शक्ति' के अंतर्गत सफल परमाणु परीक्षण किया था। उसके 2 दिन पश्चात यानी कि 13 मई को न्यूक्लियर टेस्ट किए गए। इन परीक्षणों का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति व मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था। इसके साथ ही इस परमाणु परीक्षण के सफल होने के उपलक्ष्य में उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 11 मई 1999 में 11 मई को "नेशनल टेक्नोलॉजी डे" घोषित किया था।



प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा 11 मई को नेशनल टेक्नोलॉजी डे के रूप में घोषित करने के बाद से ही प्रतिवर्ष 11 मई को पूरे भारत में परमाणु प्रशिक्षण को समर्पित इस दिवस को राष्ट्रीय तकनीकी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 आज से 25 साल पोकरण व खेतोलाई गांव में पहले अचानक आर्मी आई और पूरे गांव में फैल गई। गांव में घरों में बैठे लोगों को बाहर आने का कह कर उन्हें पेड़ों के नीचे जाने को कहा। गांव के लोगों को समझ ही नहीं आया कि ऐसा क्या हो गया? न किसी को भनक भी थी कि क्या होने वाला हैं? कुछ देर पश्चात ही खेतोलाई से 5 किमी दूर फायरिंग रेंज में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में वैज्ञानिकों और सैन्य अफसरों की मौजूदगी में हुए एक के बाद एक तीन धमाकों से पूरा इलाका गूंज उठा। ऐसा लगा कि मानों भूकंप आ गया है। कुछ सैकंड तक इलाका थर्राता रहा। अचानक लोगों की नजरें आसमान की तरफ गई तो बादल का गुबार दिखा। करीब दो से तीन घंटे बाद पूरे पोकरण इलाके में यह पता चल गया कि इस धरती ने भारत को परमाणु ताकतों वाले देशों की सूची में शामिल कर दिया है। जैसे ही खबर मिली तो पूरे भारत में खुशी की लहर छा गई क्योंकि आज भारत दुनिया के परमाणु देशों की ताकतों में शामिल हो गया।

खास बात यह है कि भारत के परमाणु शक्ति बनने की खुशी और गर्व का पल पोकरण क्षेत्र के लोगों के जेहन में आज भी 25 साल बाद वैसा वैसा का वैसा ही है। 

 



वैज्ञानिकों ने कैसे फायरिंग रेंज में रात भर काम किया। परीक्षण के लिए वैज्ञानिकों को सिर्फ डेढ़ साल का समय मिला था। गोपनीयता रखना सर्वोच्च प्राथमिकता थी। वैज्ञानिकों ने केवल रात के दौरान परीक्षण स्थलों पर काम किया, वो भी उस वक्त जब अमेरिका और अन्य देशों की सैटेलाइट की अनुपस्थिति के कारण स्पष्ट छवियों को कैप्चर करने में असमर्थ होते थे। जैसे-जैसे सुबह होती थी। सब कुछ वैसा ही रख दिया जाता था पोकरण को इसलिए चुना गया था क्योंकि यहां से आबादी बहुत दूरी पर थी। फायरिंग रेंज में धोरों में बड़े कुएं नुमा गड्ढे खोदकर इन कुओं पर वापस रेत के पहाड़ नुमा धोरे बना दिए गए थे।

इस परमाणु परीक्षण कुछ इस तरीके से गोपनीयता के साथ अंजाम दिया गया वह सबसे बड़ा तुरंत का इक्का साबित हुआ कि की पूरी दुनिया इससे अनजान थी कि भारत कुछ बहुत बड़ा करने जा रहा है और इसको पूर्व निर्धारित योजनाबद्ध ढंग से क्रियान्वित करने के लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की पूरी टीम को पूरे देश द्वारा शुभकामनाएं दी गई थी।

वैसे तो यह भारत के लिए दूसरा परमाणु परीक्षण था क्योंकि इससे पहले 1974 में इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थे तब पहला परमाणु परीक्षण किया गया था लेकिन यह इस प्रकार से अलग था कि किसी को कानों कान खबर नहीं लगने दी और पूरी दुनिया सेटेलाइट से भारत पर नजर रख रही थी लेकिन रात के समय को चुनकर जिस प्रकार से इस ऑपरेशन शक्ति को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया था वह काबिले तारीफ है आज का दिन भारत के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है और इतिहास के पन्नों में इस दिन को स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया।