स्थापना दिवस विशेष :बक्सर जिला स्थापना

स्थापना दिवस विशेष :बक्सर जिला स्थापना

आज का दिन बक्सर जिले के लिए बहुत ही ज्यादा खास है क्योंकि आज बक्सर को जिला बने हुए 32 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। सभी बक्सरवासियों को बक्सर जिला के 32 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हार्दिक शुभकामनाएं

 

स्थापना दिवस कार्यक्रम

◆ बक्सर जिला स्थापना दिवस पर प्रशासन की ओर से सुबह से लेकर देर शाम तक तीन चरणों में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया है।

◆ प्रथम चरण के  दौरान बक्सर चौक चौराहों पर स्थापित महापुरुषों के प्रतिमाओं के पास से साइकिल निकाली जाएगी। इसके साथ ही वृक्षारोपण किया जाएगा।

◆  द्वितीय चरण में दोपहर में समाहरणालय सभाकक्ष में समारोह का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम के दौरान नियुक्ति पत्र वितरण और रंगोली प्रतियोगिता आयोजित की गई है। इसके साथ ही रक्तदान शिविर भी लगाया जाएगा। ◆  तीसरे चरण में शाम को रामरेखा घाट पर गंगा आरती और नगर भवन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा ।



कब बना जिला व इसके पीछे का संघर्ष क्या रहा

◆ बिहार के प्रवेश द्वार के रूप में प्रसिद्ध भोजपुर जिले के बक्सर अनुमंडल को काफी संघर्ष के बाद 17 मार्च 1991 को जिले का दर्जा मिला था।

◆ गौरतलब है कि बक्सर को अपने जिले बनने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा और 11 सालों तक लंबा संघर्ष करने के बाद वह जिला बना।

◆ 11 वर्ष की इस लंबे आंदोलन के बाद बक्सर वासियों ने अनुमंडल से जिला बनाने में सफलता पाई थी। 

◆इस आंदोलन में सैकड़ों लोग शामिल थे. जिसमें बुद्धिजीवी, समाजसेवी, व्यवसायी, श्रमिक, किसान थे। 

◆ जिला बनाने के इस संघर्ष में 18 लोगों को अपने प्राण न्योछावर करने पड़े। 18 प्रमुख लोगों की यादें आज भी बक्सर में जीवंत रूप में मौजूद है।

◆ जिला बनाने के संघर्ष की शुरुआत जनवरी 1980 से हुई और इसकी मांग को लेकर लगातार आंदोलन शुरू किया गया। 

◆ 1980 से लेकर 1990 तक आंदोलन के दौरान पांच बार बक्सर बंद कराया गया, जो अभूतपूर्व था इसी के परिणाम स्वरूप सरकार ने बक्सर को जिला का दर्जा दिया।

◆ आखिरकार 11 वर्ष के लंबे संघर्ष के बाद बक्सर को जिले का दर्जा मिलने की खुशी जो कि 1991 से शुरू हुई वह आज तक उसी रूप में इस दिल को लेकर ताजा है और बक्सरवासी इसको बड़े ही खुशी के साथ मनाते हैं

 

बक्सर का ऐतिहासिक महत्व

◆ बक्सर अपने प्राचीन काल से ही ऐतिहासिक महत्व रखता है जिसमें कहीं सारी हुकूमत है शामिल रही है जिन्होंने बक्सर की धरती पर कई सारे युद्ध लड़े और इसको अपना प्रमुख केंद्र भी बनाया ।

◆ मुगल सल्तनत की बात की जाए तो मुगल सम्राट हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच 26 जून 1539 को बक्सर के चौसा के मैदान में युद्ध हुआ था। इस लड़ाई में हूमायूं को जान बचाकर भागना पड़ा था

 ◆ अक्टूबर 1764 में बक्सर नगर के पास ईस्ट इंडिया कंपनी के हैक्टर मुनरो और मुगल सेनाओं के बीच युद्ध हुआ था।

◆ बंगाल के नवाब मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला, बनारस के राजा बलवंत सिंह और मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना अंग्रेज कंपनी से लड़ रही थी। लड़ाई में अंग्रेजों की जीत हुई। 

◆ इसके परिणाम में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और बांग्लादेश का दीवानी और राजस्व अधिकार अंग्रेज कंपनी के हाथ चला गया। इसका गवाह आज भी बक्सर का कथकौली मैदान है।