कर्नाटक चुनाव : 36 साल बाद कांग्रेस ने फहराया जीत का परचम : कर्नाटक के चुनाव परिणामों ने कर दिया तख्तापलट भाजपा के विजय रथ ने कर्नाटक चुनाव परिणाम में किया निराश
पिछले चुनाव में कर्नाटक में शानदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा सरकार इस बार कांग्रेस के जीत के साथ ही दूसरे नंबर पर आ गई है और वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने कर्नाटक में पूर्ण बहुमत की कांग्रेस सरकार आ गई है। कर्नाटक में कांग्रेस को मिले पूर्ण बहुमत की खुशी को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि जो 5 वादे चुनाव होने से पूर्व किए गए थे उन पांच वादों को पहली कैबिनेट बैठक में पूरे करेंगे तथा वर्तमान कांग्रेसी अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि दक्षिण भारत अब भाजपा मुक्त हो गया है। चुनाव के इस प्रकार के चौकानेवाले नतीजों ने भाजपा पार्टी और उनके समर्थकों को हिला कर रख दिया है अभी क्या कमियां रही उस पर सुधार करने के लिए सकारात्मक नजरिए से भी लिया जा सकता है और इस पर क्या रणनीति होनी चाहिए इसके नजरिए से भी देखा जा सकता है अब दोनों ही बड़ी राजनीतिक पार्टियों के लिए यह एक बड़ी सीख है बस कौन इसको किस तरीके से लेता है इस पर निर्भर करता है।
लेकिन हाल ही में जारी नतीजों के आधार पर अब कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनेगी। शनिवार 13 मई को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों में पार्टी ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया। हालांकि रुझानों में दोपहर से पहले ही साफ हो गया था कि कांग्रेस जीत रही है।
इससे पहले 12 बजे कर्नाटक कांग्रेस चीफ डीके शिवकुमार घर की बालकनी पर आए, कांग्रेस का झंडा फहराया और कार्यकर्ताओं के सामने हाथ जोड़े। मीडिया के बीच पहुंचे तो भावुक हो उठे। कहा- जेल में सोनिया गांधी मिलने आई थीं, उनसे मैंने जीत का वादा किया था।
एक बजे के आसपास भाजपा ने हार मान ली। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सामने आए और कहा- नतीजों का एनालिसिस करेंगे, पार्टी लोकसभा चुनाव में दमदार वापसी करेगी। इसके साथ ही शाम होते-होते भारत के माननीय प्रधानमंत्री वभाजपा के वरिष्ठ नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को जीत की बधाई दी। समर्थन करने वालों का शुक्रिया किया।
दोपहर के करीब राहुल गांधी दिल्ली में मीडिया के सामने आए और 6 बार मीडिया से नमस्ते कहा और 2 मिनट का वक्त मांगा। फिर बोले- हमने नफरत से लड़ाई नहीं लड़ी। कर्नाटक ने दिखा दिया कि देश को मोहब्बत पसंद है। हमारे जो मुख्य पांच वादे थे, वे पहली ही कैबिनेट बैठक में पूरे किए जाएंगे।
शाम सवा सात बजे बेंगलुरु में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- भाजपा हमें ताना मारती थी कि हम कांग्रेस मुक्त भारत बनाएंगे। अब यह सच्चाई है कि भाजपा दक्षिण भारत मुक्त हो चुकी है। राज्य की जनता ने फैसला किया और हमें 136 सीटें मिलीं। 36 साल बाद हमारी बड़ी जीत हुई है।
CM बोम्मई के 11 मंत्री जीते, 11 हारे... सीएम पद के तीनों चेहरों को मिली जीत
इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के कई बड़े चेहरों का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा था। कांग्रेस के सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार, भाजपा के बसवराज बोम्मई प्रमुख फेस थे। ये तीनों चुनाव जीत गए। लेकिन बोम्मई और उनके 11 मंत्री जीते, 11 मंत्री हार गए। कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए भी यह बेहद अहम चुनाव था। एकतरफा जीत से पार्टी में उनका कद बढ़ेगा।
पहली बार 73.19% मतदान हुआ पिछले चुनाव से 1% ज्यादा
राज्य में 38 साल से सत्ता रिपीट नहीं हुई है। आखिरी बार 1985 में रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व वाली जनता पार्टी ने सत्ता में रहते हुए चुनाव जीता था। वहीं, पिछले पांच चुनाव (1999, 2004, 2008, 2013 और 2018) में से सिर्फ दो बार (1999, 2013) सिंगल पार्टी को बहुमत मिला। भाजपा 2004, 2008, 2018 में सबसे बड़ी पार्टी बनी। उसने बाहरी सपोर्ट से सरकार बनाई।
गौरतलब है 10 मई को 224 सीटों के लिए 2,615 उम्मीदवारों के लिए 5.13 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले। चुनाव आयोग के मुताबिक, कर्नाटक में 73.19% मतदान हुआ है। यह 1957 के बाद राज्य के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा है।
2018 में भाजपा को बहुमत नहीं... फिर भी सरकार बनाई
2018 में भाजपा ने 104, कांग्रेस ने 78 और JDS ने 37 सीटें जीती थीं। किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। भाजपा से येदियुरप्पा ने 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन सदन में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 23 मई को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस-JDS की गठबंधन सरकार बनी।
14 महीने बाद कर्नाटक की सियासत ने फिर करवट ली। कांग्रेस और JDS के कुछ विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी को कुर्सी छोड़नी पड़ी। इन बागियों को येदियुरप्पा ने भाजपा में मिलाया और 26 जुलाई 2019 को 119 विधायकों के समर्थन के साथ वे फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2 साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। भाजपा ने बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया।
जिस प्रकार से लोकसभा चुनाव 2023 के कर्नाटक के नतीजे आए हैं उसको लेकर भाजपा के लिए चौंकाने वाला और कांग्रेश के लिए खुश होने वाला मौका है क्योंकि 36 साल के बाद वह पूर्ण बहुमत के साथ कर्नाटक में सरकार बनाने जाएगी और कर्नाटक का इतिहास भी यह रहा है कि वहां पर कोई भी सरकार रिपीट नहीं हुई है लेकिन कभी बहुमत से तो कभी गठबंधन से सरकार बनती आई है लेकिन इस बार कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ ही तो उनके लिए यह खुशी दोगुनी से चौगुनी हो जाती है जहां भाजपा के लिए एक सीट के तौर पर होगी तो कांग्रेश के लिए एक जीत के तौर पर होगी मगर दोनों ही पार्टियों को यह समझने का मौका है कि किन चीजों पर काम किया जाए और किन पर नहीं राजनीति ने जिस प्रकार से करवट ली है उससे कहीं सारे नए मुद्दों को बोलने के लिए खोल दिया है फिर इसके बारे में जितना कहा जाए उतना कम होगा लेकिन आखिर में जनता ने यह जता दिया कि जो जनता के हाथ में पावर है वह जनता का पावर ही रहेगा और वह अपना पावर बोर्ड के माध्यम से दिखाई देती है जो कि इस बार दिखाइए और पहले भी दिखा चुकी है और आगे भी दिखाएगी