"पासवान का हमला: नीतीश सरकार पर जातिगत जनगणना की रिपोर्ट में गड़बड़ी का आरोप, मांगी दोबारा जांच"

"पासवान का हमला: नीतीश सरकार पर जातिगत जनगणना की रिपोर्ट में गड़बड़ी का आरोप, मांगी दोबारा जांच"

पटना, 10 अक्टूबर 2023: बिहार की राजनीति इन दिनों पूरे रंग में नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मी सबसे ज्यादा बिहार में ही देखने को मिल रही है। कारण भी है कि यहीं से विपक्षी गठबंधन की नींव रखी गई और केंद्र की सत्ता के शिखर पर पहुंचने की विपक्ष की तैयारी यहीं से चल रही है। नीतीश कुमार ने इस गठबंधन को आकार देने के लिए खूब मेहनत की है।

 

इस सब के बीच NDA के घटक दल में से एक स्वर्गीय राम विलास पासवान की लोजपा के नेता पशुपति कुमार पारस ने नीतीश कुमार से दो ऐसी मांगें कर दी हैं, जिसे नीतीश कुमार पूरा करते हैं या नहीं, यह देखना जरूरी है।

 

पशुपति कुमार पारस ने हाजीपुर स्टेशन का नाम रामविलास पासवान के नाम पर करने और यहां उनकी बड़ी मूर्ति लगाए जाने की मांग की। उन्होंने साफ कहा कि नीतीश कुमार के अच्छे मित्र उनके बड़े भाई रामविलास पासवान थे, ऐसे में वह उनसे यह मांग कर रहे हैं।

 

हाजीपुर बिहार के वैशाली जिले का एक प्रमुख शहर है और यह रामविलास पासवान का गृहनगर भी है। पारस का कहना है कि हाजीपुर स्टेशन को रामविलास पासवान के नाम पर करना उनके सम्मान का प्रतीक होगा।

 

पारस ने केंद्र सरकार से भी मांग की है कि उन्हें भारत रत्न दिया जाए। उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान एक महान नेता थे, जिन्होंने गरीबों और दलितों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

 

पारस ने बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट को लेकर नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि जो आंकड़े इस रिपोर्ट में पेश किए गए, वह पूरी तरह से गलत हैं। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में पासवानों की संख्या को कम करके दिखाया गया है।

 

पारस का कहना है कि बिहार में संख्या के आधार पर बात की जाए तो यादवों के बाद पासवान आते हैं। ऐसे में यह रिपोर्ट राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि इस आंकड़े को लेकर मांग करते हैं कि इसकी दोबारा जांच की जाए। साथ ही इसमें जो भी अधिकारी संलिप्त हैं, उनपर कड़ी कार्रवाई की जाए।

 

पारस की इन मांगों से बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। यह देखना होगा कि नीतीश कुमार और केंद्र सरकार उनकी इन मांगों पर क्या निर्णय लेते हैं।