"प्रशांत किशोर का तीखा सवाल: बिहार में 18% मुस्लिम, लेकिन उनका प्रतिनिधित्व क्यों नहीं? राजनीति में संख्या बदलाव नहीं, सही प्रतिनिधित्व और विकास की बजाय जनता की जागरूकता को जरूरत"
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच चल रहे राजनीतिक मुद्दों पर प्रशांत किशोर ने एक संवाद के दौरान बड़े ही तीखे बयान दिए। उन्होंने पूछा कि बिहार में 18 प्रतिशत मुसलमान हैं, लेकिन इस समुदाय को राजनीतिक मंच पर उच्च पदों और मंत्रिपदों में सही मात्रा में प्रतिनिधित्व क्यों नहीं मिल रहा। उन्होंने इस स्थिति को व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार सरकार के सभी विभागों का बजट सिर्फ दो व्यक्तियों, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पास है।
वह आगे बढ़ते हुए कहते हैं, "राजनीति की जहां तक बात है, तो इन दोनों दलों को चुनौती दे रहे हैं। ये जनता समझती है कि इससे कुछ नहीं होने वाला। किसी की संख्या बढ़ा दीजिए, किसी की संख्या घटा दीजिए, इससे राजनीति में कोई बदलाव नहीं आएगा। मैंने पहले भी कहा है कि नीतीश कुमार की राजनीतिक पारी का अंत हो रहा है और यह डूबते हुए राजनेता का अंतिम दांव है ताकि समाज में आग लगाकर उसे बांटकर एक बार फिर से अपना काम चला सकें।"
प्रशांत किशोर ने आगे भी स्पष्ट किया कि वह सिर्फ संख्या बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ता है, बल्कि सही प्रतिनिधित्व और विकास के मामूले पर काम किया जाना चाहिए। उन्होंने समाज के लोगों को जागरूक रहने की भी बड़ी महत्वपूर्णता दी। इस संवाद में, नीतीश कुमार से यह सवाल पूछा गया कि उन्होंने कितने अति पिछड़ों को विधायक बनाया है। उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया। समाज के लोग अब इस प्रकार के सवालों का उत्तर जानना चाहते हैं ताकि वह सही और संज्ञानशील निर्णय ले सकें।