बाबू रामलखन यादव

बाबू रामलखन यादव

'शेर-ए-बिहार' के नाम से जाने-जाने वाली, शिक्षा की अलख जगाने वाले शिक्षाविद, महान स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व कैबिनेट मंत्री, बाबू रामलखन यादव जी जयंती पर उन्हें सादर नमन????

◆ 9 मार्च 1920 को बिहार की राजधानी पटना में बाबू रामलखन जी का जन्म हुआ

 

राजनीतिक जीवन

◆ 1952 से 1991 तक विधायक रहे ◆ बाबू रामलखन यादव जी ने बिहार व झारखंड में उच्य शिक्षा हेतु 95 कॉलेज एवं करीब 450 स्कूल खुलवाया थे ऐसा माना जाता है कि आजाद भारत में किसी भी व्यक्ति के द्वारा इतने भारी संख्या में शैक्षणिक संस्थान नहीं खुल गई होगी जितनी बाबूजी ने अपने जीवन काल में खुलवाएं।

 

 राम लखन सिंह यादव उर्फ़ बाबूजी से जुड़ी हुई बातें

◆ बाबू जी द्वारा अपने पूरे जीवन काल में ज्यादातर संस्थान सुदूर ग्रामीण इलाकों में खोले गए थे जिसका लाभ समाज के वंचित वर्ग को ज्यादा मिला।

◆ आजीवन King maker की भूमिका में रहे बाबू रामलखन जी ने 28 जुलाई 1993 को नरसिम्हा राव सरकार को बचाने में भी मदद की थी।

◆ 1990 के दशक की बात की जाए तो उस समय बाबू राम लखन सिंह यादव जी बिहार में यादवों के निर्विवाद नेता के रूप जाने जाते थे और आज भी बिहार के सबसे बड़े पिछड़े नेताओं में से एक एवं  यादवों के प्रेरणा स्रोत के रूप में माने जाते हैं।

◆ बाबूजी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बिहार की ओर से एक प्रमुख व्यक्तित्व के रूप में रहे।

◆  पेशे से कृषक, बाबू रामलखन जी एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता थे जिन्होंने छात्रों, श्रमिक संघों, पिछड़े वर्गों, स्वतंत्रता सेनानियों और किसान सभा को संगठित करने में अपना अमूल्य योगदान दिया। 

◆ एक साक्षात्कार में, उन्होंने कहा था, "मेरे लिए किसान पहले है और मैं उसके लिए कुछ भी त्याग करने को तैयार हूं। किसान के लिए, मुझे जो कुछ भी करना होगा, मैं करूंगा।"

बाबू जी का पूरा जीवन प्रेरणा का स्रोत है जिस प्रकार के उनके कार्य है उनका अनुसरण करके हम सभी भी अपना योगदान देकर समाज और देश की तस्वीर बदल सकते हैं।