औरंगाबाद के स्कूल में 96 बच्चों पर एक कमरा, प्रिंसिपल का ऑफिस भी एक ही कमरे में

औरंगाबाद के स्कूल में 96 बच्चों पर एक कमरा, प्रिंसिपल का ऑफिस भी एक ही कमरे में

औरंगाबाद में कई ऐसे स्कूल हैं, जहां न तो पर्याप्त शिक्षक हैं और न ही कमरे। संसाधनहीन व्यवस्था में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करना बेमानी है। औरंगाबाद शहर के बीचो-बीच स्थित पोखरा मोहल्ला के विद्यालय की स्थिति शिक्षा को लेकर सरकार की सोच के स्याह सच को उजागर कर रही है।

मोहल्ले में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय, जहां कक्षा 5 तक पढ़ाई होती है। यहां नामांकित बच्चों की संख्या 96 है। लेकिन, इस स्कूल में एक ही कमरा है। इसी एक कमरे में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं।

क्या है सरकारी नियम:

सरकारी प्रावधानों के मुताबिक कक्षा 5 तक की पढ़ाई के लिए कम से कम 6 कमरे होने चाहिए। इसमें पांच वर्ग संचालन के लिए और एक प्रधानाध्यापक और शिक्षक के लिए। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका नगीना देवी ने बताया कि विद्यालय में मात्र एक ही कमरे हैं। कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों को कमरे में तथा कक्षा 1 से 2 तक के बच्चों को बरामदे में पढ़ाई कराई जाती है।

स्कूल में 4 शिक्षिका हैं:

विद्यालय में चार शिक्षिका हैं, जिसमें एक प्रधानाध्यापिका भी शामिल हैं। प्रधानाध्यापिका हमेशा विभागीय कार्य में व्यस्त रहती हैं। जिस कक्षा में 3 से 5 तक के बच्चे पढ़ते हैं। उसी कक्षा में प्रधानाध्यापिका का कार्यालय भी है। ऐसे में किसी बच्चे की अभिभावक के आने या अधिकारियों द्वारा विद्यालय की जांच के लिए पहुंचने की स्थिति में बच्चों की पढ़ाई तब तक बाधित रहती है, जब तक वह मौजूद रहते हैं।

पानी का भी कोई साधन नहीं:

प्रधानाध्यापिका बताती हैं कि विद्यालय में पानी का कोई साधन नहीं है। पानी की व्यवस्था एक समाजसेवी के द्वारा मोहल्ले वालों के लिए की गई है। लेकिन टंकी विद्यालय के छत पर बैठाई गई है और विद्यालय के दीवार से ही बाहरी लोगों के लिए नल लगाए गए हैं। इसी कारण नल का एक कनेक्शन विद्यालय को प्राप्त है। तब जाकर यहां के बच्चे पानी पीते हैं।

उन्होंने बताया कि यदि यह व्यवस्था किसी कारण बंद हो जाती है तो बच्चे पानी के लिए तरस जाएंगे। देखा जाए तो राजकीय प्राथमिक विद्यालय मल्लाह टोली के बच्चे भेड़ बकरियों की तरह रहकर पढ़ने को मजबूर हैं। इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी संग्राम सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जगह का अभाव है। लेकिन विद्यालय की स्थिति सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं।