राजस्थान में गर्मी के तीखे तेवर टेंपरेचर हुआ 45 डिग्री के पार

राजस्थान में गर्मी के तीखे तेवर टेंपरेचर हुआ 45 डिग्री के पार

भारतीय हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ  माह में सूरज पूरी रंगत में आ गया है। अप्रेल और मई में शुरुआती नरमी के बाद सूरज कहर बरपा रहा है। शुक्रवार को सुबह से शाम तक आग बरसी। लू के थपेड़ों ने सबके हाल बेहाल कर दिये।

सुबह की शुरुआत के ही साथ सूर्य की तीखी किरणों यह एहसास करवा दिया कि सुबह नहीं बल्कि दोपहर हो चुकी है और इससे लोगों का जीना दुश्वार हो गया। इसके साथ ही जब भी आप घर से बाहर निकले तो पूरी तरह से कपड़ों से ढंक कर ही बाहर निकले। दोपहर होते-होते तो शहर की सडक़ें तंदूर के समान दहकती महसूस  होती है और लोग जल्द से जल्द किसी छायादार स्थान या पेड़ की छांव की तलाश करते नजर आते हैं गर्मी तो हर सीजन में पढ़ती है है लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के कारण गर्मी के तेवर कुछ ज्यादा ही तीखें होने लग गए हैं

इस प्रकार की प्रचंड गर्मी ने राजस्थान के सभी जिलों के वासियों का जीना मुहाल कर दिया है।

वैसे तो प्रदेश में बार-बार आने वाले पश्चिमी विक्षोभ के कारण आंधी-तूफान व बारिश का दौर चलने से पूरा अप्रेल राहत देने वाला रहा। उस समय चुनिंदा दिनों में ही तापमान 40 डिग्री से पार पहुंचा था। बाद में मई की शुरूआत बरसात के साथ हुई लेकिन बाद में स्थितियां बदलती चली गई है। अभी पिछले एक सप्ताह में अधिकतम तापमान निरंतर बढ़ता गया और यह शुक्रवार को 45 डिग्री के स्तर तक पहुंच गया। गौरतलब है कि गर्मी में 45 डिग्री प्रचंड गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। इससे आगे गर्मी असहनीय होती है।

गर्मी जिस प्रकार से बढ़ रही है उसे देखते हुए सभी लोगों को हरे पेड़ लगाने की आवश्यकता है क्योंकि अभी गर्मी 45 डिग्री है और अगर ऐसे ही रहा तो 50 के करीब पहुंच जाएगी जो कि सहन करने लायक नहीं होती इसलिए सभी जनमानस को यह समझना होगा कि आसपास जितने भी हो हरे पेड़ लगाए ताकि इस प्रचंड गर्मी को कवर करने में यह पेड़ हमारी मदद करें और इंसानी जीवन यथावत रूप से चल सके।

पिछले दो दशकों से जिस तरीके से अत्याधुनिक युग की शुरुआत हुई है उससे ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ती चली जा रही है उसी के कारण भी यह सब चीजें हो रही है जो कि अप्रकृतिक है जिससे मनुष्य जीवन पर खतरा भी मंडरा रहा है।

इसलिए आप सभी भी अपनी तरफ से जितना हो सके इस ग्लोबल वार्मिंग और प्राकृतिक वातावरण को कम करने में पेट लगाकर अपना योगदान जरूर दें अभी तो यह शुरुआत है इसलिए अभी से पेड़ लगाना शुरू कर देंगे तो शायद इसका प्रभाव थोड़ा कम हो सके।